लखनऊ का इतिहास और वर्त्तमान


लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी एक ऐसा शहर जहा तहजीब का एक अलग स्वभाव देखने को मिलता है।  इस शहर की अपनी एक जुबान है। जो आमतौर पर शहरों में देखने को कम मिलती है।  लखनऊ जिसका पुराना नाम अवध था। ज्यादातर लोग लखनऊ शहर को चिकन, कबाब, इमामबाड़ा और आम के लिए जानते है। पर शायद इन सब से बढ़कर है इस शहर में जो यहाँ लोगो को आने पर मजबूर करता है। 

लखनऊ इस शहर का नाम ये कैसे पड़ा इस पर आज भी मतभेद है। मुस्लिम इतिहासकारो की माने तो सं 1526 ए डी में बिजनौर के शेख यहाँ आये और उस समय के वास्तुविद लखना पासी की देखरेख में एक किला बनवाया जिसका नाम लखना किला रखा गया जो बाद में परिवर्तित हो के लखनऊ हो गया। हिन्दू साहित्यकारों के अनुसार भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण का जन्म इस स्थान पर हुआ था। जिसकी वजह से इसका नाम लाखनपुर था जो बदलते वक़्त के साथ लखनऊ हो गया। 

लखनऊ शुरू से नवाबो का शहर रहा है। यहाँ बहुसंस्कृति देखने को मिलती है।  यहाँ के शिया नवाबो द्वारा यहाँ की सांस्कृति, धरोहरों, कला, कविता, उद्यानों और व्यंजनों को खूब सराहा गया। लखनऊ की वास्तविक संरचना नवाब आसिफउदौला ने सं 1775 में अपनी राजधानी बना कर की थी। जिसके बाद नवाब वाजिद अली शाह ने इसे आगे बरक़रार रखा। 

येतो थी इतिहास की बात अब बात वर्तमान की करते है।  लखनऊ आज अपने सबसे तेज रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रहा है। बात अगर बीते 14 सालो की जाये तो लखनऊ में एक अलग विकास नजर आया है। जहा एक ओर सुंदरीकरण का विकास इसको खूबसूरत बना रहा है।  वही बाहरी कंपनियों के आने से ये शहर एक विकासशील शहर में तब्दील हो रहा है।  बीते कई सालो में यहाँ HCL, TCS,  Accenture, और Unilever जैसी कंपनी ने अपना योगदान दिया इस शहर को बेहतर बनाने में और भी कई नयी कंपनी है जो अब यहाँ अपना स्थान बना रही है। 

लखनऊ ने बीते कई वर्षो में जो बदलाव आये है उनमे इसके सुंदरीकरण का बहुत बड़ा हाथ है।  आंबेडकर पार्क, रिवर फ्रंट, जनेश्वर मिश्र पार्क और लखनऊ मेट्रो कुछ बड़े काम है, जिसने लखनऊ को एक अलग पहचान दिलाई है। आज लखनऊ इंटरनैशनल मैचेस को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। यहाँ का भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अन्तरराष्ट्रीय इकाना क्रिकेट स्टेडियम सबसे खूबसूरत स्टेडियम्स में से  एक है। 

लखनऊ में आये और खाने की बात न हो ये गलत होगा। लखनऊ अपने सबसे पसंदीदा चीज कबाब के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के चौक के टुंडे कबाबी के अगर कबाब नहीं खाये तो अपने कुछ नहीं खाया। यहाँ पुराने लखनऊ की कश्मीरी चाय अपने आप में यहाँ के तहजीब को दर्शाती है। आप को बता दे कश्मीरी चाय को यहाँ पे गुलाबी चाय भी कहते है। यहाँ के कबाब के साथ साथ यहाँ की चिकन बिरयानी, पूरी कचौरी, कुलचे निहारी और छोले भठूरे अदि चीजे भी खाने के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा मीठे में फालूदा कुल्फी और मखान मलाई पसंद की जाती है। 

लखनऊ अपनी हर उस चीज के लिए विख्यात है। जो उसने अपने अंदर समां रखी है। जिसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता है। आगे और भी बाते है इस अद्भुत शहर की जो फिर कभी होंगी।  आप को अगर ये पसंद आये तो कमेंट में जरूर बताये।  

Comments

  1. Thnq for this lovely information

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  2. best city

    please provide a any other vacation city details

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