बनारस - एक प्राचीन नगरी

बनारस या यू कहे मन को मोह देने वाला एक शहर जिसके हर " बनावट में रस " है। वैसे तो बनारस का अपना एक इतिहास रहा है जिसके बारे में हम फिर कभी बात करेंगे । आज बस इस नगर को जानते है। बनारस यू तो लोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए आते है। पर न जाने क्यों इस शहर की हवा में ही ऐसा अहसास है कि लोगो को यहाँ वापस आने को मजबूर करती है। 

गंगा नदी के किनारे बसा ये शहर विश्वा का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है। बनारस शहर को प्राचीन उसकी धरोहरों से कम उसकी सादगी और मिलनसार लोगो से माना जाता है। यहाँ के लोगो कि एक खास बात है यहाँ का हर शख्स अपने आप में किसी राजा से काम नहीं होता है। बनारस की बोली आप को किसी राजा से कम नहीं अहसास कराये गई। इस बात की मैं पूरी सम्भावनाये रख सकता हूँ। वैसे तो बनारस में " काशिका भोजपुरी " बोली जाती है। " का हो गुरु कहा जात हउवा " , " का चाचा सब ठीक " , " महादेव चाचा " ये सम्बोधन अक्सर आप को बनारस की गलियों में सुनाई पड़ेंगे। यही इसे सबसे अलग बनाते है। 

अगर बनारस की बात हो और महादेव का नाम ना आये ये मुमकिन नहीं हो सकता है। " काशी विश्वनाथ मंदिर " जो गंगा किनारे "दशवमेघा घाट " के करीब स्थित है। यू तो बनारस मंदिरो का शहर भी कहलाता है परन्तु काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरो में से एक है।  काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के "बारह ज्योतिर्लिंगों" में से प्रमुख माना जाता है।

माना जाता है अगर अपने बनारस की गंगा आरती नहीं देखी तो आपने कुछ नहीं देखा। बनारस की गंगा आरती आप को पूरी तरह से इस शहर में खोने को मजबूर करती है। सोचिये आप सुबह उठते है और आप को चारो तरफ से शंखो और मंत्रो की आवाज आये ये आवाजे आप को किसी अलग ही लोक का अहसास कराती है। बनारस के घाटों की एक अलग ही बात है। यहां कुल 84 घाट है। जिसमे से 5 घाट बहुत पवित्र माने जाते है जिन्हे सामूहिक रूप से "पंचतीर्थी" कहा जाता है।

जब बात बनारस की हो रही हो तो बनारस हिन्दू विश्वाविद्यालय की बात होना जरुरी है। BHU (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) की स्थापना सं 1916 में पंडित मदनमोहन मालवीय ने ऐनी बेसेंट के सहयोग से किया था। बनारस का ये विश्वविद्यालय विश्वा का तीसरा सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। इसके अलावा सम्पूर्णानद संस्कृत विश्वविद्यालय भी है जो की बनारस का सबसे पहला विश्वविद्यालय है। जो की 1891  में स्थापित किया गया था। 

वैसे तो बनारस में बहुत सी खुबिया है पर बनारस के स्वाद का एक अलग ही जायका है। बनारस में कचोड़ी जलेबी का नाश्ता सबसे पसंदीदा नास्ता माना जाता है अगर अपने ये नास्ता नहीं  किया तो आप का इस शहर में आना बेकार है। यहाँ के रामनगर की लसी सबसे फेमस ड्रिंक्स में से एक मानी जाती है। शाम को घाट किनारे बैठ के चाय का लुत्फ़ उठाना एक अलग ही माहौल को जगाता है। यहाँ नुकड़ो पर आप को चाय के जायकों के साथ राजनीती पर चर्चा करते देखने को जरूर मिलेगा। 


"ऐ कशी तुम क्या हो, 

           जब सुबह हो तो मन मोह लेती हो,

           जब शाम हो तो दिलो को जोड़ देती हो,

ऐ कशी तुम क्या हो,

           तुम नगरी नहीं एक साया हो,

           तुम हर निश्छल मन की माया हो, 

ऐ कशी तुम क्या हो,

         जब किया मन तो बुला लिया,

         जब चाहा अपना बना लिया,

 ऐ कशी तुम क्या हो,"


आगे और बहुत कुछ है बात करने को पर इसबार इतना ही बाकि अगली बार बात होगी इस महानगरी की या यु कहे महादेव की नगरी की। अगर आप को अच्छा लगा तो प्लीज कमेंट करके जरूर बताये। 

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