ऋषिकेश के पांच सबसे प्रसिद्ध स्थानों का इतिहास, जिनके बारे में आप शायद ही जानते हो

ऋषिकेश - उत्तराखंड के देहरादून जिले में बसा एक शहर है। हिमालय के प्रवेश द्वार के रूप में विख्यात ऋषिकेश अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। ये वो स्थान है जहा गंगा नदी पर्वतमालाओ को छोड़ कर समतल धरातल में बहना प्रारम्भ करती है। ऋषिकेश को बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यहां के आश्रम और मंदिर इसकी सुंदरता और धार्मिकता को दर्शाते है। ऋषिकेश अपने एडवेंचर और अपनी पर्वतमालाओ के लिए भी प्रसिद्ध है। इस जगह पर आप हर प्रकार के एडवेंचर और खेल का आनद ले सकते है। यहाँ के कुछ प्रसिद्ध स्थान है जो आप को इस जगह की धार्मिकता और खूबसूरती को समझने में साथ देंगे। 


लक्ष्मण झूला

ऋषिकेश में बना प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला लोहे के तारो का बना एक पुल है जो की टिहरी और पौड़ी जिले को आपस में जोड़ता है। माना जाता है कि भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण ने जुट कि रसियो का प्रयोग कर इस पुल का निर्माण किया था। उन्होंने मात्र दो जुट कि रसियो के सहारे इस पुल को पर किया था। साल 1889 में सेठ सूरजमल ने यहाँ एक लोहे के तारो का पुल निर्माण कराया। इसे पहले तक यहाँ उन्ही जुट कि रसियो का प्रयोग होता था और लोगो को छीके या डोला में बैठा कर पर कराया जाता था। अक्टूबर साल 1924 में आयी आपदा में लोहे का पुल बह जाने के बाद यहां एक मजबूत और आकर्षक पुल का निर्माण कराया गया जो अभी तक चल रहा है। जिसे 1930 में जनता के लिया खोला गया था। 


नीलकंठ महादेव मंदिर 

यह मंदिर ऋषिकेश से 32 किलोमीटर दूर जंगलो में स्थापित है। माना जाता है कि जब असुरो और देवताओ के बीच अमृत को पाने के लिए सुद्रमंथन हो रहा था तब उस मंथन के दौरान जो भी वस्तु निकली उसे आपस में बाट लेते थे परन्तु जब विष निकला तो उसे लेने कोई भी आगे नहीं आया। माना ये जाता है कि बगैर विष को पिए अमरत्व प्राप्त नहीं किया जा सकता जिसके बाद भगवन शिव ने धरती कि रक्ष के लिए उस विष को पिया। जिसको पीते समय माता पार्वती ने उनके गले को दबा दिया जिसे सारा विष उनके गले में ही रह गया और स्थान नीला पड़ गया जिसकी वजह से भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ गया और जिस जगह पर भगवान शिव ने वो विष पिया था वो जगह ही नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से जानी जाती है। इस मंदिर के परिसर में एक झरना भी है जहा लोग स्नान करके भगवान शिव के दर्शन करते है। 



वशिष्ठ गुफा 

ऋषिकेश से 22 किलोमीटर दूर बद्रीनाथ रोड पर बना वशिष्ठ गुफा और आश्रम है। हिन्दू पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र और सप्तऋषियों में से एक ऋषि वशिष्ठ ने यहाँ आश्रम का निर्माण किया था। कहा जाता है जब ऋषि वशिष्ठ के सभी पुत्रो कि मृत्यु हो गयी तो उन्होंने गंगा नदी में आत्म त्याग का प्रयत्न किया जिसे गंगा नदी ने अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद ऋषि वशिष्ठ और उनकी पत्नी ने यहाँ के सुखद वातावरण में रहने का निस्चय किया। ऋषि वशिष्ठ यहाँ गुफा में कई सालो तक ध्यान लगाया है। समय व्यतीत होते होते यहाँ एक छोटे से आश्रम का निर्माण भी उन्होंने किया। जिसे साल 1930 में स्वामी पुरुषोत्तमानन्द ने इस आश्रम और गुफा को सँभालने कि जिम्मेदारी ली जो आज तक चलती आ रही है। 


भरत मंदिर 

ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट के पास स्थित भरत मंदिर यहां के सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इसे हृषिकेश नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। केदारखंड के प्राचीन अभिलेखों के अनुसार इस मंदिर की मुख्य संरचना को अदि गुरु शंकराचार्य ने 8वी शताब्दी में बनवाया था। परन्तु कहा जाता है 1398 ई में तैमूर शाशक द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया गया था। इस मंदिर में एक काले शालिग्राम पत्थर पर भगवना विष्णु की मूर्ति को तराशा गया है जिसमे हिमालय की विशेषता दर्शायी गयी है। इस मंदिर के मुख्या देवता भगवान विष्णु है। माना जाता है जब अशोक के साम्राज्य का उदय हुआ तो उसने भरत मंदिर और कई और मंदिरो को बौद्ध मठो में परिवर्तित कर दिया था। आज भी इसके अवशेष यहाँ मिलते है। 


कैलाश निकेतन मंदिर (तेरह मंज़िल मंदिर)

ऋषिकेश में गंगा नदी के किनारे बसा तेरह मंजिल मंदिर यहाँ के सबसे प्रमुख स्थानों में आता है। इस मंदिर को कैलाश निकेतन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण भी अदि गुरु शंकराचार्य ने 9वी शताब्दी में किया था। ये मंदिर 13 मंजिल में बना है। इस मंदिर सारे देवी - देवताओ की मूर्ति है। इस मंदिर की सबसे ऊपरी मंजिल से ऋषिकेश के सूर्यास्त के नजारा अत्यनत खूबसूरत नजर आता है। 


इनके अलावा यहाँ आपको और भी कई सारी जगहे घूमने के लिए है। गीता भवन, स्वर्ग आश्रम, त्रिवेणी घाट और मोहनचट्टी जैसी और भी कई जगह है जहा आप घूम सकते है। ऋषिकेश अपने एडवेंचर और कैंपिंग के लिए भी जाना जाता है।  यहां पर टूरिस्ट दूर से रिवर क्राफ्टिंग और बंजी जंपिंग का आनंद लेने का लिए आते है। यहाँ 40 प्रकार के एडवेंचर्स ट्रिप और स्पोर्ट्स है जो आप को भरपूर आनद देने के लिए काफी है। आपको यहाँ पर रुकने के लिए कई होटल और रिसॉर्ट्स भी मिल जायँगे। आप यहाँ हर तरीके की चीजों का आनद ले  सकते है। 

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